Amit Kumar

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कश्मीर कल आज और कल

हां मैं जिंदा हूं भारत की सांसो में, हां मैं वही काश्मीर हूं।
जहाँ स्वयं महादेव ने अपने हाथो से स्वर्ग सा संवार दिया, अमृत ज्ञान से जीवन संवार दिया।
हां मै वही काश्मीर हूं जो अपनी आत्मा को तोड़कर विस्थापन को स्वीकार किया।
आज दरख्तें भी अपने हवा के झोकों से एक आश्य् जगायी है, बटने वाले कानून हटा एकरुपता आयी है।।
जो कश्मीर में अलगाववाद का बीज डाला है उन्हें बताता हूं जी हां मै वही काश्मीर हू जहाँ पुनः बसंती की बहार आने वाली है।
हां मै काश्मीर हूं।

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4 Comments

Suryansh

17-Sep-2022 11:55 AM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना,,,,, sir cover image भी लगाएं,,,,, अगर अभी पोस्ट के साथ कश्मीर की एक कवर इमेज लगाए होते तो और बेहतर होता,,,, so please cover image bhi लगाएं

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बहुत ही सुंदर और यथार्थ

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Shnaya

03-Jun-2022 07:08 PM

Nice 👍🏼

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